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प्रयागराज :
प्रयागराज नगर निगम के बुलडोजर देख माफियाओं के उड़े होश
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हाल ही में प्रयागराज स्थानीय निकाय द्वारा करीब दर्जनभर बुलडोजर जेसीबी मशीन की खरीदारी से जिले के माफियाओं की होश उड़ गए हैं । सरकारी तंत्र जिस प्रकार से माफियाओं के ऊपर नकेल कस रहा है इससे घबराहट और बेचैनी तो व्याप्त है ही लेकिन एक साथ दर्जनों जेसीबी की खरीदारी से इनके कान खड़े हो गए हैं।
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अभिलाषा गुप्ता नंदी महापौर प्रयागराज द्वारा 15 वे वित्त आयोग के अंतर्गत प्राप्त धनराशि से क्रय की गई 10 योगी के बुलडोज़रों का उद्घाटन किया। (JCB) । सरकार के इस फैसले से शहर में माफियाओं के संपत्ति ध्वस्तीकरण जैसी चर्चाओं को बल मिला है ।
पूर्व में बाहुबली अतीक अहमद ,अशरफ, विजय मिश्रा , दिलीप मिश्रा , एवं पप्पू गाजिया जैसे कुख्यातों एवं इनके गुर्गों की कमाई अवैध संपत्ति को जमींदोज एवं जप्तिकरण किया गया है इससे तो हड़कंप मचा ही है। इसके अलावा इन बाहुबली एवं अपराधियों के शस्त्र का लाइसेंस भी कैंसिल किया जा चुका है और कई असलहों के बरामदगी की भी खबर आ रही है। ब्लैक लिस्टेड एवं अपराध जगत से जुड़े हुए लोगों एवं उनके परिवारों के नाम पर हुए शस्त्र आवंटन के लाइसेंसों को भी खंगाला जा रहा है ताकि बड़ी कार्रवाई की जा सके।
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लेकिन जानकार बताते हैं कि इन अपराधियों के पास अभी भी कई संपत्ति बची हुई है जिसकी पड़ताल अभी चल रही है। यह इतने शातिर होते हैं कि अपनी कई संपत्तियों को अपने परिवार वालों एवं इष्ट मित्रों के नाम कर रखा है ताकि आंकड़ों को छुपाया जा सके । अभी तक इनके घर- मकान के अलावा शहर के पॉश इलाके सिविल लाइन, चौक में कई अवैध दुकानों को भी ध्वस्त किया जा चुका है लेकिन पूरा आंकड़ा अभी शायद सरकार की नजर में नहीं आ पाया है ।
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तू डाल डाल और मैं पात पात वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए अभी भी ढेरों माफिया ऐसे हैं जो पाला बदलकर अपनी संपत्ति बचाने में सफल हुए हैं। राजनैतिक साठ गाठ व प्रशासनिक अधिकारियों के पूजा अर्चन ,चढ़ावा और व्यक्तिगत संबंध के कारण अभी भी ढेरों आंकड़े सरकार और जनता की नजर में नहीं आ पाए हैं । यह माफिया ऐसा करके कितनी देर तक बच पाएंगे ?
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2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व सरकार ने भी अपनी कार्रवाई की गति को तेज करने का निर्णय लिया है। इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित भी किया जा चुका है और कई सम्पत्ति चिन्हित भी हो चुकी है। ऐसे में माफिया भी कानून की बारीकियों का अध्ययन, राजनीतिक पाला बदलने तथा अधिकारियों से व्यक्तिगत संबंध जैसे उपायों को आजमा रहे हैं और कुछ तो सफल भी हो जा रहे हैं। सुनने में तो ऐसा आ रहा है कि कुछ माफिया अपनी उन संपत्ति को जो अभी तक सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं हो पाई है उसे औने पौने भाव में निपटारा करने में लगे हुए हैं ।
व्यक्तिगत संबंध और चढ़ावा जैसे पावरफुल उपाय से यह माफिया अपनी संपत्ति बचा पाते हैं या सरकार की आंखों में धूल झोंकने में सफल हो पाते हैं यह तो आने वाला समय और सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति पर ही निर्भर करेगा। अब प्रतिस्पर्धा सरकार के दृढ़ इच्छाशक्ति और माफियाओं के हथकंडे के बीच है और देखना है कि सफल कौन हो पाता है। और क्या वास्तविकता में इन अपराधियों का जो डर समाज में फैला है वह समाप्त हो पाएगा ।