उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में प्रतिरोधक क्षमता पर हुआ व्याख्यान

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UPRTOU प्रयागराज में प्रतिरोधक क्षमता पर हुआ व्याख्यान

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इम्युनिटी बढ़ाने में सकारात्मक मनोवृति आवश्यक- पद्मश्री सामतेन

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प्रयागराज :

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के स्वास्थ्य विज्ञान विद्या शाखा के तत्वावधान में बुधवार को सकारात्मक स्वास्थ्य तथा प्रतिरोधकता क्षमता की अभिवृद्धि में आहार एवं पोषण का महत्व विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया । व्याख्यान के मुख्य अतिथि केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ, वाराणसी के कुलपति पद्मश्री प्रोफेसर गेशे नवांग सामतेन ने कहा कि खाद्य पदार्थों एवं फसलों में हानिकारक तत्वों की उपस्थिति नहीं होनी चाहिए।

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इस पर रोकथाम हेतु एक जनजागरण अभियान के साथ ही आवश्यक कानून बनाया जाना चाहिए। उन्होंने आहार के महत्व एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए मन से शरीर के रोगों को दूर करने की विधा पर प्रकाश डाला। पद्मश्री प्रोफेसर सामतेन ने कहा कि प्रतिरोधक क्षमता की अभिवृद्धि में सकारात्मक मनोवृति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।


अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि कोविड संक्रमण काल में लोगों में इम्युनिटी के प्रति जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि आहार एवं पोषण का अपने जीवन में संतुलन रखें तो हमारी इम्यूनिटी सही रह सकती है। खाते समय हमारे विचार अच्छे होने चाहिए जिससे हमारे शरीर को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि सौहार्दपूर्ण वातावरण से समाज का कल्याण और स्वस्थ समाज का निर्माण होगा।


विशिष्ट वक्ता गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तराखंड की प्रोफेसर सरिता श्रीवास्तव ने कहा कि हमें जंक फूड के स्थान पर अपने परंपरागत भोजन को बढ़ावा देना चाहिए, साथ ही योग एवं ध्यान का भी अभ्यास करना चाहिए। उन्होंने सकारात्मक स्वास्थ्य के लिए आहार एवं पोषण के महत्व का विस्तार से वर्णन किया।


मुख्य वक्ता भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ की प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में उपस्थित महत्वपूर्ण घटकों का विस्तार से वर्णन किया और अच्छे स्वास्थ्य में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
संयोजक प्रोफेसर गिरिजा शंकर शुक्ल ने स्वास्थ्य को ही असली पूंजी बताया। उन्होंने कहा कि हम अपनी नियति के स्वयं लेखक हैं और अपने जीवन के स्वयं आर्किटेक्ट हैं।

परमात्मा ने हमें इतनी शक्ति दी है कि हम अपने जीवन के अभीष्ट को प्राप्त कर सकते हैं एवं परिस्थितियों को परिवर्तित कर सकते हैं। प्रो. जी.एस. शुक्ल ने अतिथियों का स्वागत किया।
ऑनलाइन व्याख्यान का संचालन आयोजन सचिव डॉ मीरा पाल एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ अरुण कुमार गुप्ता ने किया।

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