13 अगस्त 2021, लखीसराय
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प्रकृति बचेगी, मानव बचेगा
श्रावण माह के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को संपूर्ण भारत में नागपंचमी पर्व मनाया जाता है। नाग पंचमी के शुभ अवसर पर पर्यावरण भारती द्वारा देवी मंदिर परिसर में फलदार पेड़ आम, पपीता, अमरूद, औषधीय पौधे तुलसी, फूल के पौधे बेली, चम्पा , कनेल , सदाबहार के पौधे लगाए गए।

पर्यावरण भारती के संस्थापक एवं संरक्षक राम बिलास शांडिल्य ने कहा कि भारत देश में प्राचीन काल से हमारे पूर्वज प्रकृति की पूजा करते रहे हैं। आज भी हम सभी किसी न किसी रूप में प्रकृति की पूजा कर रहे हैं। श्रावण माह में भगवान शिव जी की पूजा एक तरह से प्रकृति की पूजा ही है। भगवान शिव के प्रिय नागराज थे। हमेशा गला में लपेट कर नागराज को सम्मान दिया गया था। उसी परंपरा में आज भी विषधर नाग की पूजा आज के दिन संपूर्ण भारत में नागपंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। दूध एवं धान का लावा नागराज को माताओं एवं बहनें पूजा के रूप में रखा जाता है। नाग देवता को प्रसन्न रखने के लिए नागपंचमी पर्व भारत में मनाया जाता है।
विषधर नाग वायुमंडल में व्याप्त जहर को ग्रहण कर वायुमंडल को शुद्ध करने में मदद करता है। किसान के खेत में फसल को नष्ट करने वाले चूहों को सांप खाकर समाप्त कर देता है। इससे फसल बर्बाद होने से बचता है। इस तरह सांप हमारे मानव के लिए लाभकारी है।
पर्यावरण संरक्षण एवं प्रकृति की रक्षा हेतु वृक्षारोपण मानव को ऐसे शुभ अवसर पर अवश्य करना चाहिए। प्रकृति बचेगी, मानव बचेगा।
पर्यावरण 5 चीज़ों से बना है –
1- जल, 2 – जंगल, 3 – जमीन, 4 – जानवर एवं 5 – जन या मानव ।
इन पांचों के संतुलन से ही पर्यावरण संतुलित रहेगा। जंगल संसार में 33% होना चाहिए। परंतु 15% ही बचा है। इसी का परिणाम है प्राकृतिक आपदाएं मानव को परेशान कर रही है। प्राकृतिक संतुलन हेतु वृक्षारोपण ही एकमात्र उपाय है।
आज के पौधारोपण कार्यक्रम में पर्यावरण भारती के राम बिलास शांडिल्य, मनीष कुमार सिंह, सौरभ कुमार, कलम सिंह ने भाग लिये।
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