समान नागरिक संहिता | Uniform Civil Code
13 जुलाई 2021, लखीसराय, दक्षिण बिहार
पर्यावरण भारती द्वारा जन्मदिन पर पंचवटी वाटिका का पौधारोपण
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पर्यावरण भारती द्वारा दक्षिण बिहार के लखीसराय जिला के नगर परिषद में संतर मोहल्ला काली मंदिर परिसर में पंचवटी वाटिका का पौधारोपण कुमारी श्रेया राज के जन्मदिन के शुभ अवसर पर किया गया। पौधारोपण का नेतृत्व पेड़ आयाम टोली के नगर प्रमुख विवेक जोशी ने किया।
पंचवटी वाटिका के पौधारोपण में पर्यावरण गतिविधि के सह नगर संयोजक घनश्याम पंडित, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय नगर संघचालक डॉक्टर आर बी दास, अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य विनोद कुमार विमल, राष्ट्र सेविका समिति की श्रीमती शोभा देवी, कुमारी श्रेया राज की माताजी शिक्षिका अनीता देवी, पर्यावरण प्रेमी कमलेश कुमार मोदी , शंभू प्रसाद वर्णवाल, संजीत कुमार वर्णवाल इत्यादि ने भाग लिये।
पंचवटी वाटिका के पौधारोपण के शुभ अवसर पर पर्यावरण भारती के प्रांत संरक्षक,, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्राप्त संयोजक एवं अखिल भारतीय पेड़ आयाम टोली के सदस्य राम बिलास शांडिल्य ने कहा कि प्राकृतिक संतुलन हेतु वृक्षारोपण एवं संरक्षण आवश्यक है। अभी हम सब मानव प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं। भगवान श्री राम 14 वर्षों तक वनों में जाकर पर्यावरण संरक्षण का कार्य किए। उनका आवास महाराष्ट्र के नासिक स्थित पंचवटी में लंबे समय तक रहा था।
पंचवटी वाटिका
भगवान श्री राम जी , माता सीता एवं छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों तक महाराष्ट्र प्रांत के नासिक के पास पंचवटी में निवास किए थे।
पंचवटी वाटिका में पीपल, बरगद,बेल, आंवला एवं अशोक के पौधे लगाए जाते हैं।
पंचवटी वाटिका में दिशा का महत्त्व है। कौन दिशा में किस पौधे को लगाने से मानव निरोग एवं स्वस्थ रहते हैं।
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- पीपल=पीपल का पौधा पूर्व दिशा में लगाना चाहिए
- बरगद=बरगद का पौधा पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए
- बेल=बेल का पौधा उत्तर दिशा में लगाना लाभकारी है
- आंवला=आंवला का पौधा दक्षिण दिशा में होना चाहिए
- अशोक=अशोक का पौधा आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण पूर्व दिशा में होना चाहिए
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सेंट्रल ड्रग्स रिसर्च इंस्टिट्यूट,. C. D. R. I. ने भारत देश में महाराष्ट्र राज्य के नासिक के पास पंचवटी पर शोध कर बताए हैं कि भगवान श्री राम जी 14 वर्षों तक निरोग एवं स्वस्थ रहे। पंचवटी में पांच प्रकार के वृक्ष होने के कारण ही श्री राम जी स्वस्थ एवं निरोग हो पाए।
पीपल=पीपल का वृक्ष 1800 किलोग्राम ऑक्सीजन प्रति घंटा उत्सर्जित करता है।
बरगद=बरगद का वृक्ष गर्मी को रोकता है एवं प्राकृतिक वातानुकूल. A. C. का भी कार्य करता है। कुरुक्षेत्र में अक्षय वट 5123 वर्ष पुराना है।
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आंवला=आंवला से विटामिन सी प्राप्त होता है। आंवला रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
बेल=बेल मानव के पेट संबंधी बीमारी को दूर करता है।
अशोक=अशोक से मातृशक्ति की बीमारियां दूर होती है।
इस प्रकार भारत देश में पंचवटी वाटिका का विशेष महत्व है। घर के आस-पास गमला में या खुले मैदान में पंचवटी वाटिका लगाना चाहिए। 10 वर्षों तक वाटिका की सुरक्षा आवश्यक है।