अयोध्या के राम मंदिर के साथ ही सीतामढ़ी में बनेगा माता सीता का जानकी मंदिर

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माता सीता का जानकी मंदिर का होगा भव्य निर्माण

श्री राम जन्मभूमि निर्माण के साथ-साथ श्री राम जी की अर्धांगिनी जगत जननी मां सीता का प्राकट्य स्थली सीतामढ़ी बिहार में भी मंदिर निर्माण के रास्ते खुल गए हैं।

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सीता माता जानकी मंदिर

रामायण सर्किट

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हिंदुओं के आराध्य श्री राम की जन्म स्थली अयोध्या के उत्तर प्रदेश तथा देवी सीता की जन्म स्थली सीतामढ़ी बिहार को जोड़ने का भी मेगा प्रोजेक्ट है जिसे रामायण सर्किट के नाम से जाना जाता है। इसमें श्रीराम से संबंधित सारे जगहों का पुनर्निर्माण तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत संयोजने का जो कार्य है उसे भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तथा बीजेपी संघ एवं इसके अनुसार संगठनों का मेगा प्रोजेक्ट के रूप में देखा जाता है।

श्री राम जन्म भूमि के शिलान्यास की पहली रखने वाले बिहार के दलित तथा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण के साथ ही माता सीता के जन्म भूमि सीतामढ़ी में भी भव्य मंदिर का निर्माण होगा। इसके लिए जानकी सखी नामक संगठन बनाकर बिहार के कार्यकर्ता अन्य जिलों में संपर्क करके जागरूकता अभियान चलाएंगे।

कामेश्वर चौपाल बताते हैं कि जानकी सखी ने बिहार के कई जिलों के लोगों से संपर्क करने का अभियान शुरू भी कर दिया है। इसके लिए मुख्य क्षेत्र मिथिलांचल और सीमांचल को केंद्र में रखकर कार्य किया जा रहा है।

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सीतामढ़ी उत्तरी बिहार के इलाके में स्थित है तथा यह रेल और सड़क मार्ग दोनों से जुड़ा हुआ है। पटना से 139 किलोमीटर दूर सीतामढ़ी बिहार के तिरहुत प्रमंडल में अवस्थित है। यहां जाने के लिए प्रमुख निकटतम रेलवे स्टेशन मुजफ्फरपुर है जहां से सीतामढ़ी स्टेशन की दूरी 53 किलोमीटर है। पटना से लगभग ₹180 राज्य सरकार की बसों में प्रति व्यक्ति मूल्य निर्धारित है। हवाई मार्ग द्वारा निकटतम स्टेशन है पटना स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा तथा गया का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जहां से सड़क और रेल मार्ग दोनों द्वारा जाया जा सकता है।

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माता सीता का जन्म और आस्था

बताते हैं कि श्रीराम में आस्था रखने वालों की आस्था माता सीता के प्रति अपने आप हो जाती है। सीतामढ़ी स्थित विख्यात पुनौरा धाम में जानकी मंदिर बना हुआ है तथा हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन को आते हैं। वैसे यह क्षेत्र अल्पविकसित है तथा इसे विकसित करने की मांग काफी दिनों से उठ रही है ।

ज्ञातव्य रहे कि पूरी दुनिया जहां भगवान श्रीराम को भगवान के रूप में पूजता है वही मिथिला के लोग आज भी भगवान राम को दूल्हे के रूप में पूजते हैं।भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना श्री रामायण सर्किट के दायरे में श्रीराम से संबंधित सारे जगह आते हैं तथा इन जगहों का पुनर्निर्माण तथा भव्यता प्रदान करना है ताकि करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं का ख्याल रखा जा सके।

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श्री राम के अर्धांगिनी तथा हिंदुओं की प्रमुख देवी माता सीता का जन्म फागुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। मान्यता है कि राज्य में अकाल पड़ने के कारण पुरोहितों के विचार विमर्श से राजा जनक ने अपने हाथों से खेत में सोने का हल सहित जोता था जिससे मां सीता का प्राकट्य हुआ था ।जमीन से प्रकट होने के कारण इनका नाम सीता पड़ गया।

वैसे जानकी ,जनक नंदिनी, वैदेही, मैथिली भी नाम माता सीता के ही हैं जो समय काल और परिस्थिति के अनुसार निर्धारित हुए थे। आज भी मिथिलांचल के किसी भी शादी विवाह में लोक गीत में जानकी के साथ-साथ श्री राम की कथा गाई जाती है ‌ जिसे सुनने के लिए श्रद्धालु बड़ी दूर दूर से आते हैं।

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जानकी मंदिर निर्माण से होगा क्षेत्र का विकास

बिहार के प्रसिद्ध आईपीएस रहे तथा पटना के महावीर मंदिर के प्रमुख आचार्य किशोर कुणाल ने इसकी जानकारी होने पर काफी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि सीता जन्म भूमि से संबंधित कार्य तो बहुत पहले ही हो जाने चाहिए थे क्योंकि सीता के बिना श्री राम अधूरे हैं।

समय आ गया है कि भव्य श्री राम जन्म स्थान के साथ-साथ जानकी जन्म स्थान में भी भव्य मंदिर का निर्माण किया जाए ताकि अयोध्या के साथ-साथ सीतामढ़ी भी दुनिया के मानचित्र पर एक अध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित हो सके। जानकारी देते हुए महावीर मंदिर के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि पटना में राम रसोई का संचालन के साथ-साथ सीतामढ़ी में सीता रसोई का संचालन भी हम लोगों की संस्था द्वारा होता है जहां प्रतिदिन हजारों भक्त प्रसाद पाते हैं।

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2023 में हो जाएगा श्री राम मंदिर का निर्माण – चौपाल

मां जानकी निर्माण के लिए प्रयासरत तथा श्री राम जन्मभूमि सेवा न्यास ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल बताते हैं कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण में बहुत तेजी आई है तथा 2023 तक यह मंदिर का निर्माण हो जाएगा।अभी मंदिर निर्माण के लिए 24 घंटे कार्य चल रहा है।

नींव भराई के 44 लेयर में लगभग आधा काम पूरा हो गया है तथा अक्टूबर माह तक नींव से संबंधित सारे काम निपट जाएंगे। 36 महीने में मंदिर तैयार हो जाएगा। इसके लिए पत्थरों को तेजी से तराशा जा रहा है तथा तराशे जा चुके पत्थरों को जन्मभूमि तक पहुंचाया जा रहा है ताकि मंदिर निर्माण में तेजी आ सके।

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