राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC)
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राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) भारत में रह रहे वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखे जाने का रजिस्टर है, जिसमें संवैधानिक रूप से भारतीय नागरिकता प्राप्त लोगों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को वर्ष 2003-04 में संशोधित नागरिकता अधिनियम,1955 के अनुसार बनाया गया है और इसे असम राज्य को छोड़कर कहीं और लागू नहीं किया गया है।
पूर्व में भी वर्ष 1951 की जनगणना के आधार पर असम राज्य के लिए एनआरसी (NRC) तैयार किया गया लेकिन इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। असम सीमावर्ती राज्य होने के नाते यहां घुसपैठ भी बहुत अधिक होता है,इस समस्या को देखते हुए वर्ष 1983 में संसद में प्रवासी अधिनियम पारित किया गया, जिससे अवैध प्रवासियों की पहचान की जा सके और न्यायिक व्यवस्था सुनिश्चित हो सके। लेकिन वर्ष 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को अपडेट करने का फैसला किया ।
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वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने असंतुष्टि जताते हुए अपने निर्देशन में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लिया और देखरेख शुरू किया। वर्ष 2019 में 31 अगस्त को असम राज्य के लिए अपडेटेड (Updated) राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पब्लिश हुई, जो बहुत नाम ना होने से जुड़े विवादों के कारण सुर्खियों में भी रही, जिसमे पुनः नाम को शामिल करने का अवसर दिया गया।
वास्तव में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का मुख्य उद्देश्य भारत में अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों का पता लगाना है,और ऐसे कई सर्वे सामने आए हैं जो घुसपैठियों की बड़ी संख्या होने का दावा करते हैं। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के लिए आवश्यक दस्तावेजों में रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन (Refugee Registration), आधार(Aadhar), जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate), नागरिकता प्रमाण पत्र (Citizenship certificate), पासपोर्ट (Passport), बीमा पालिसी (Insurance Policy) अथवा सरकार द्वारा जारी कोई भी प्रमाण पत्र या लाइसेंस में से कोई भी दस्तावेज हो सकता है। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) में नागरिकता का आधार नागरिकता अधिनियम 2019 है जो नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन के बाद आया है।
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सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को असम को छोड़कर और कहीं भी इसे नहीं लागू किया है आगे केंद्र सरकार (Central Government) पूरे भारत मे लागू कर सकती है। लेकिन इसको लेकर कई भ्रांतियां हैं जिसे दूर करने का प्रयास सरकार के द्वारा किया जाना बेहद आवश्यक है। सरकार को असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से सीख लेते हुए उससे उपजे लोगो के भय को दूर करना चाहिए।
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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR)
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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) एक व्यापक पहचान डेटाबेस है जिसे गृह मंत्रालय के तहत भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त (Registrar General and Census Commissioner of India under Ministry of Home Affairs) द्वारा बनाए रखा जाता है।
यह “देश के सामान्य निवासियों“ का एक रजिस्टर है और इसे स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाएगा।
नागरिकता अधिनियम,1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 के प्रावधानों के तहत एनपीआर (NPR) तैयार किया जा रहा है। नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 14(ए) (Section 14 (A) of the Citizenship Act, 1955) के अनुसार, यह भारत के प्रत्येक “सामान्य निवासी“ के लिए अनिवार्य है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) में पंजीकरण करने के लिए।
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“देश का निवासी“ वह है जो कम से कम पिछले 6 महीनों से स्थानीय क्षेत्र में रहता है या अगले छह महीनों के लिए किसी विशेष स्थान पर रहने का इरादा रखता है।
नागरिक और विदेशी – राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के विपरीत, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) में केवल नागरिक ही नहीं, बल्कि विदेशी भी शामिल होंगे, क्योंकि यह छह महीने से अधिक समय तक किसी इलाके में रहने वाले विदेशी को भी रिकॉर्ड करेगा ।
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सरकार ने अद्यतन राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के साथ आधार डेटाबेस को लिंक करने की भी योजना बनाई है। आधार नंबर के साथ यह अपडेटेड राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) डेटाबेस मातृ डेटाबेस बन जाएगा और विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा उनकी संबंधित योजनाओं के तहत लाभार्थियों के चयन के लिए उपयोग किया जा सकता है।
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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और जनगणना (Cencus) के बीच सम्बन्ध
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- जनगणना के “हाउस-लिस्टिंग” (House-listing) चरण के दौरान घर-घर के माध्यम से डेटा एकत्र किया जाता है, जिसे 10 वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है। आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी, और अगली 2021 में की जाएगी।
- राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR)की हालिया कवायद जनगणना 2021 से जुड़ी है, हालांकि, दोनों के बीच मतभेद हैं।
- जनगणना (Cencus) एक स्थूल अभ्यास है जहाँ डेटा (Data) को गोपनीयता खंड द्वारा संरक्षित किया जाता है। जनगणना (Cencus) का उद्देश्य व्यक्तिगत पहचान विवरणों की पहचान करना नहीं है।
- दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR), हर व्यक्ति की पहचान का विवरण एकत्र करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
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एनपीआर (NPR) और एनआरसी (NRC) में अंतर
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NRC | NPR |
नागरिकता रजिस्टर | जनसंख्या रजिस्टर |
NRC एक रजिस्टर है जिसमें भारत और भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिकों का विवरण है। | NPR भारत के सभी “सामान्य” निवासियों की सूची है, अर्थात् जो कोई भी देश में अपनी राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना छह महीने से अधिक समय तक रहता है |
NRC में भारत में रहने वाले विदेशियों को छोड़कर केवल भारत के नागरिकों का विवरण होगा। | NPR में छह महीने से अधिक समय तक रहने वाला एक विदेशी भी शामिल होगा। |
इस तरह का पहला रजिस्टर 1951 में असम के लिए ही तैयार किया गया था। असम में इसकी अपडेशन प्रक्रिया 2015 में शुरू हो गई है। 30 मई, 2019 को केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए विदेशियों (ट्रिब्यूनल) आदेश, 1964 में एक संशोधन ने एनआरसी के दायरे को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया। | 2011 में प्रक्रिया शुरू हुई। NPR के तहत डेटाबेस भारत के रजिस्ट्रार जनरल और भारत के जनगणना आयुक्त, गृह मंत्रालय द्वारा बनाए रखा जाएगा। नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 के प्रावधानों के तहत। |
NRC अब तक असम राज्य तक ही सीमित है। | NPR की प्रक्रिया असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल से सितंबर 2020 तक किया जाएगा। |
मूल उद्देश्य भारत के सभी कानूनी नागरिकों का दस्तावेजीकरण करना है ताकि अवैध प्रवासियों को पहचाना और निर्वासित किया जा सके। | NPR का मूल उद्देश्य व्यक्ति की पहचान के लिए एक विश्वसनीय डेटाबेस प्रदान करना है और मौजूदा डेटाबेस में सभी कमियों से बचना है। |
प्रमाण की आवश्यकता है | स्व घोषणा के आधार पर |
जनसांख्यिकीय जानकारी | जनसांख्यिकी और बायोमेट्रिक दोनों जानकारी |
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