प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल दिवस पर भारतीय सेना के शौर्य को किया नमन
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज कारगिल विजय दिवस के बाईसवें वर्षगांठ पर भारतीय सेना के शौर्य गाथा का उल्लेख किया तथा अमर बलिदानी हुए सैनिकों को याद किया। उन्होंने मन की बात में कहा कि हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था जिन परिस्थितियों में युद्ध हुआ था उसे भारत कभी नहीं भुला सकता पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था तब भारत पाकिस्तान से अच्छे संबंधों को बनाने के लिए प्रयासरत था । इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम चरित्र मानस के एक श्लोक को भी सुनाया। पूरा श्लोक निम्न वत है।
काम क्रोध मद लोभ परायन।
निर्दय कपटी कुटिल मलायन।।
बयरु अकारण सब काहू सों ।
जो कर हित अनहित ताहू सों।।
अर्थात काम, क्रोध, मद और लोभ के परायण तथा निर्दयी, कपटी, कुटिल और पापों के घर होते हैं। वे बिना ही कारण सब किसी से वैर किया करते हैं। जो भलाई करता है उसके साथ बुराई भी करते हैं।
इसके साथ उन्होंने सैनिकों के साथ साथ उन माताओं को भी याद किया जो अपने पुत्रों को देश की रक्षा के लिए बलिदान करने से पीछे नहीं हटी।

खराब मौसम के कारण राष्ट्रपति की यात्रा स्थगित
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आज भारत के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविन्द द्रास सेक्टर में बने शहीद मेमोरियल जाने वाले थे लेकिन 11600 फीट पर मौसम के बदलते रुख के कारण उनकी यात्रा स्थगित हो गई।
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज नेशनल वर मेमोरियल दिल्ली पर अमर बलिदानी को श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा पूरे भारतवर्ष में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष में कई जगह श्रद्धांजलि और कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।
भारतीय सेना और पाकिस्तानी सेना के बीच लड़े गए कारगिल युद्ध के समय भारत में सेना प्रमुख नायक वेद प्रकाश मलिक थे तथा पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ।उस समय भारतीय रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस थे। यह युद्ध भारतीय सेना के लिए आसान नहीं था क्योंकि 18000 फीट की ऊंचाई पर दुश्मन चोरी-छिपे पहले से ही घात करके बैठा था लेकिन भारतीय सेना की अदम्य साहस ने पाकिस्तानी सेना को अपने सैन्य पराक्रम तथा रणनीति के द्वारा आत्मसमर्पण करा दिया था तथा विश्व के कई देशों के मध्यस्था के कारण यह युद्ध जीत के बाद बंद हुआ।
कारगिल युद्ध एक संक्षिप्त जानकारी
3 मई से 26 जुलाई 1999 तक चले कारगिल युद्ध में भारत की ओर से 527 सैनिकों ने बलिदान दिया और 1300 सौ से ज्यादा घायल हुए वहीं पाकिस्तान की ओर से 2700 से ज्यादा सैनिक मारे गए। सबसे ज्यादा तो आश्चर्य हुआ कि युद्ध से ढाई सौ सैनिक भाग गए जो पाकिस्तान के लिए शर्म का विषय था। हालांकि पाकिस्तान मीडिया और सेना ने इस खबर को कभी स्वीकार नहीं किया।
कारगिल युद्ध : भारतीय सेना की कार्रवाई

4 मई को कारगिल के टॉप चोटियों पर घुसपैठ की खबर कुछ चरवाहों के माध्यम से मिली तब सरकार और सेना ने त्वरित निर्णय लेते हुए 5 मई से 15 मई तक आर्मी गश्ती दल ने पूरे इलाके का सर्वे किया। 26 मई को भारतीय वायु सेना ने हवाई हमला करके पाकिस्तानी हमलावरों को नेस्तनाबूद कर दिया ।
27 मई को IAF MIG-27 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें भारतीय पायलट कमबमपति नचिकेता पाकिस्तानी सेना के हाथों में पड़ गए। बाद में 8 दिन के टॉर्चर के बाद पाकिस्तान ने इन्हें भारतीय सेना के हवाले कर दिया।
विश्व के इतिहास में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में भारत की विजय को ऑपरेशन विजय के नाम से जाना जाता है। लेकिन इस ऑपरेशन विजय के लिए नौसेना और भारतीय वायु सेना ने अलग-अलग ऑपरेशन चलाए थे, जिसका उद्देश्य भी अलग-अलग था।
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भारतीय नौसेना ने अपनी कार्रवाई को ऑपरेशन तलवार नाम दिया था। ऑपरेशन तलवार के अंतर्गत भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची समेत कई बंदरगाहों के रास्तों को ब्लॉक कर दिया था ताकि जरूरी ईंधन और तेल की सप्लाई ना हो सके। युद्ध नीति में यह सब एक कारगर हथियार माने जाते हैं । इसके अलावा भारतीय सेना ने अरब सागर में पाकिस्तान के व्यापारिक मार्गों को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया था ताकि कोई विदेशी सहायता मिल सके।

भारतीय वायु सेना ने ऑपरेशन सफेद सागर (operation white sea) चलाया था जिसका उद्देश्य कारगिल द्रास जैसे ऊंची चोटियों पर बैठे पाकिस्तानी सेना का सफाया करना था। भारतीय वायु सेना का यह ऑपरेशन 1971 के बाद से सबसे बड़ा ऑपरेशन था।
एक आंकड़ों के अनुसार इस युद्ध में भारत की ओर से 30,000 सैनिकों ने भाग लिया था तथा पाकिस्तान की ओर से 5000 सैनिकों ने ।
हालांकि आज तक पाकिस्तान अपने सैनिकों की सहभागिता को स्वीकार नहीं करता है लेकिन कारगिल युद्ध में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों के कपड़े, हथियार और दस्तावेजों से पाकिस्तान की संलिप्तता उजागर हुई थी।