न्यायाधीश (Judge) कैसे बने ?
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हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है और हमारे देश में न्यायपालिका पूरी तरह से अपने कार्यों के लिए स्वतंत्र है वह कार्यपालिका के कार्य पर अपनी नजर भी बनाए रखती है जिससे कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम रखा जा सके। इसी कारण न्यायपालिका का महत्व और भी बढ़ जाता है।
इसी कारण हमारे मन में अक्सर प्रश्न उठते हैं की जज कैसे बने ? , जज की नियुक्ति कैसे होती है ?, जज का कार्यकाल कितना होता है ?, जज का कार्यकाल कितना होता है ? , जज को हटाया कैसे जाता है ? और अन्य प्रश्न।
आज हमारे माध्यम से आप सबको उच्च न्यायालय कि न्यायाधीशों से संबंधित सारी जानकारियां प्राप्त होंगी , जानकारी प्राप्त करने हेतु हमारे साथ अंत तक जुड़े रहे।
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न्यायाधीश उच्च न्यायालय
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भारतीय एकल एकीकृत न्यायिक प्रणाली में उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों से नीचे संचालित होता है। एक राज्य में न्यायपालिका में एक उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालयों (Subordinate Courts) के पदानुक्रम शामिल हैं। उच्च न्यायालय राज्य के न्यायिक प्रशासन में शीर्ष स्थान रखता है। उच्च न्यायालय की स्थापना 1862 में भारत में हुई थी जब कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में उच्च न्यायालय स्थापित किए गए थे। 1866 में इलाहाबाद में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी।
भारत का संविधान राज्य के लिए उच्च न्यायालय प्रदान करता है लेकिन 1956 का 7 वां संशोधन अधिनियम (7th Amendment Act of 1956) संसद को दो या दो से अधिक राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक सामान्य उच्च न्यायालय स्थापित करने का अधिकार देता है। वर्तमान में, देश में 24 उच्च न्यायालय हैं। उनमें से, 4 सामान्य उच्च न्यायालय (Common High Courts) हैं। 1966 से दिल्ली एकमात्र केंद्र शासित प्रदेश है जिसका अपना एक उच्च न्यायालय है।
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उच्च न्यायालय का संगठन (Organisation)
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प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश होते हैं जिन्हें समय-समय पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होती है आवश्यकता अनुसार । इस प्रकार संविधान न्यायधिशो की गिनती निश्चित नहीं करता है और इसे राष्ट्रपति के विवेक पर छोड़ देता है। तदनुसार, राष्ट्रपति न्यायलय के कार्यभार आधार पर समय-समय पर उच्च न्यायालय की शक्ति का निर्धारण करते हैं।
न्यायाधीशों की नियुक्ति (Appointment of Judges)
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राष्ट्रपति द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त होते है । मुख्य न्यायाधीश को भारत के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित राज्यपाल और राज्य के परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी सलाह ली जाती है।
दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक सामान्य उच्च न्यायालय के मामले में, संबंधित सभी राज्यों के राज्यपालों द्वारा राष्ट्रपति से परामर्श किया जाता है।
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हाई कोर्ट न्यायाधीश बनने के लिए शैक्षिक योग्यता
अभ्यर्थी को बारवीं (12th) की परीक्षा 45 प्रतिशत अंको के साथ उत्तीर्ण होना होगा , इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा होती है , जिसमे सफलतापूर्वक पास होने के बाद आपको बीए एलएलबी (BALLB) में प्रवेश मिल जायेगा जो की पांच वर्ष (5 Years) का होता है, इसके अलावा आप स्नातक की परीक्षा 45 प्रतिशत अंको के साथ उत्तीर्ण करके एलएलबी (LLB) के तीन वर्षीय (3 Years) कार्यक्रम में प्रवेश प्राप्त कर सकते है |
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न्यायाधीशों की योग्यता (qualification of judges)
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उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए न्यायाधीशों के पास मिम्नलिखित योग्यता होनी चाहिये –
1) उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
2) उसे 10 साल के लिए भारत के क्षेत्र में एक न्यायिक कार्यालय में कार्य करे रहना चाहिए I
या
उसे 10 साल के लिए उच्च न्यायालय का वकील होना चाहिए ।
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न्यायाधीशों का कार्यकाल (Tenure)
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संविधान ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल तय नहीं किया है। हालाँकि, इसने इस संबंध में निम्नलिखित प्रावधान किए हैं I
- न्यायधीश 62 वर्ष की आयु तक पद पर रहे सकते है । भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ विचार-विमर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा उनकी आयु के बारे में कोई भी प्रश्न तय किया जाना जाता है और राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम है।
- उन्हें संसद की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा उनके पद से हटाया जा सकता है।
- वह राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा दे सकता है।
- जब वह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है या जब उसे किसी अन्य उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाता है, तो वह अपना कार्यालय खाली कर देता है।
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न्यायाधीशों को हटाना (Removal)
राष्ट्रपति के आदेश से किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उनके पद से हटाया जा सकता है। संबोधन को संसद के प्रत्येक सदन के विशेष बहुमत द्वारा समर्थित होना चाहिए। राष्ट्रपति निष्कासन आदेश तभी जारी कर सकता है और संसद द्वारा उसके लिए एक संबोधन दिया जाता है ।
हटाने के आधार दो हैं – दुर्व्यवहार या अक्षमता साबित हुई।
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भारत सरकार / राज्य सरकार में न्यायिक पदों पर चयन :
आप केंद्रीय सरकार में अटॉर्नी जनरल का पद प्राप्त कर सकते हैं या फिर राज्य सरकार में महाधिवक्ता का पद प्राप्त कर सकते हैं जो प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा वकील होते हैं। यहाँ बहुत प्रतिष्ठित पद होता है और इसके इस पद के नीचे अन्य पद भी होते हैं जिन पर आप बैठ सकते हैं। यहाँ राज्य सर्कार के सारे कानूनी केस लड़ते है।
मल्टीनेशनल कंपनी से जुड़ सकते हैं :
आप अपनी एलएलबी पूरी करने के बाद किसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी के साथ सो सकते हैं जिसमें आप कार्य सीख सकते हैं और बाद में आप लीगल कंसलटेंट के रूप में भी काम कर सकते हैं I
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न्यायाधीश के लिए व्यक्तिगत योग्यता
- एक न्यायाधीश को सही निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए I
- न्यायाधीश को कानून की अच्छी समझ होनी चाहिए जिससे कि वह सही-सही ले सकें I
- पढ़ने और लिखने में आप समाज अच्छी होनी चाहिए जिससे कि आप तथ्यों को अच्छे से पढ़ सके और उसमें से निष्कर्ष निकाल सके जिससे कि आप अपना निर्णय सही ले सकें I
- न्यायाधीश को हर एक पक्ष का की पूरी बातें सुननी चाहिए और उसके बाद ही अपना फैसला सुनाना चाहिए।
हम आशा करते हैं हमारे पोर्टल श्री news.com के माध्यम से आपको हाई कोर्ट जज से संबंधित सारी जानकारियां प्राप्त हो गई होगी और अन्य जानकारियों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें और आपके मन में कोई भी प्रश्न उठता है तो उसे कमेंट करके अवश्य बताएं।
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