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प्रयागराज :
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पत्रकार की निर्मम हत्या, क्या पत्रकारों को उत्तर प्रदेश छोड़ देना चाहिए ?
सत्य बहुत कड़वा होता है और कड़वी चीजों का पाचन बहुत ही कम लोगों से हो पाता है। जी हां पत्रकारिता धर्म यह बताता है कि मनुष्य को किसी घटना रहस्य को वास्तविक रूप में जनता के सामने रखें लेकिन कभी-कभी यह सच्चाई प्रकट करना पत्रकार के लिए जानलेवा साबित हो जाता है। विगत महीने योगीराज में प्रतापगढ़ जिले में एक पत्रकार शलभ श्रीवास्तव की निर्मम हत्या कर दी जाती है तो आज प्रयागराज जनपद के ग्रामसभा डीही खुर्द थाना खीरी में एक पत्रकार ओमप्रकाश मूर्तियां की निर्मम हत्या कर दी गई।
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घटना के बाद परिवार वालों को विश्वास नहीं हो रहा था और जीवन के आस में पत्रकार ओमप्रकाश मूर्तिया को परिवार वाले प्रयागराज के जीवन ज्योति व आनंद हॉस्पिटल ले गए जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया । घटना के जानकारी के बाद परिवार में मातम छा गया तथा मोहल्ले में लोगों का सरकार के प्रति रोष प्रकट होने लगा। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश जनपद प्रयागराज ने DIG / वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी से हत्यारों को अविलंब गिरफ्तार करवाने एवं सजा दिलवाने तथा परिवार को न्याय दिलाने के लिए दबाव बनाया गया।
ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश जनपद प्रयागराज की तहसील इकाई कोराओं में तहसील अध्यक्ष श्री सुशील केसरवानी ने थानाध्यक्ष खीरी को सूचना देते हुए स्वयं आनंद हॉस्पिटल पहुंचे और साथ ही में थानाध्यक्ष खीरी भी आनंद हॉस्पिटल पहुंचे जहां से मृत पत्रकार को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए पहुंचाया जहां सुबह 11:00 बजे पोस्टमार्टम हुआ ।
योगीराज में पत्रकारों के ऊपर जानलेवा हमला होना आम हो गया है। महीने भर के अंतराल में प्रदेश में दो पत्रकारों की हत्या कर दी जाती है। न्याय की उम्मीद में कई बार पत्रकारों को भी पुलिस प्रशासन से निराशा ही हाथ लगती है। पत्रकारिता धर्म निभाने के लिए पत्रकार को अपना जीवन दांव पर लगाना पड़ता है और कभी-कभी तो आत्म बलिदान तक देना पड़ जाता है लेकिन सरकार और प्रशासन का उदासीन रवैया अपराधियों के हौसले को बुलंद कर देता है।
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अगर अपराधी को दंड समय सीमा के अंतर्गत नहीं मिल पाता है तो यह सरकार की सबसे बड़ी नाकामी होगी तथा कोई भी पत्रकार तटस्थ होकर पत्रकारिता नहीं कर पाएगा। लोकतंत्र के चौथे खंभे के रूप में जानने वाला मीडिया अब डगमगाने लगा है।
अगर सरकार और प्रशासन का इसी प्रकार उदासीन रवैया रहा तो निःसंदेह पत्रकार उत्तर प्रदेश छोड़कर पलायन करने लगेंगे या पत्रकार पेशा छोड़ने लगेंगे। इस घटनाक्रम के बाद प्रदेश के पत्रकारों के बीच एक अजीब सी उलझन और भय का माहौल बनने लगा है। अगर सरकार समय रहते नहीं चेती तो वह दिन दूर नहीं जब आम आदमी के मन में भय का माहौल बनने लगेगा।