पत्रकारों पर हो रहे हमलों का समाज पर प्रभाव !

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प्रयागराज :

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कोई भी लोकतंत्र में voice less लोगों की voice बनने से डरने लगेगा

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लोकतंत्र की आक्सीजन सप्लाई को काटने की साज़िश।
लोकतंत्र की नींव पर हमले।
मानवाधिकारों पर डकैती की कोशिश।
मानव जीवन और समाज में भय का सृजन और संचार।

हमारे इर्द-गिर्द कुछ ऐसा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए। जिसका होना समाज के लिए अशुभ है।
अगर ऐसी घटनाएं घटती रहें तो एक दिन ऐसा आएगा कि कोई भी जागरूक होने से डरने लगेगा।
कोई भी सच बोलने से डरने लगेगा।
कोई भी खतरा मोल लेने से बचता रहता रहेगा।
कोई भी समाज को सजग करने से डरने लगेगा।
कोई भी लोकतंत्र में voice less लोगों की voice बनने से डरने लगेगा।
क्योंकि यह घटनाएं सामान्य नहीं है।
यह किसी व्यक्ति की हत्या नहीं है।
या किसी व्यक्ति पर हमला नहीं है।

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इन हत्याओं और हमलों से कुछ लोग जो समाज और देश के दुश्मन बने हैं बैठे हैं।
अथवा जिन्हें ऐसे लोगों का संरक्षण प्राप्त है।
वे लोग संकेत देना चाहते हैं कि
सत्य का आश्रय,
सत्य की सूचना और
सत्य का बोलना जीवन देने के बराबर होगा।
वह संकेत देना चाहते हैं कि
समाज के लिए बोलना,
संविधान के लिए बोलना,
उन्हें पसंद नहीं है।

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वह बताना चाहते हैं कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर उनका कब्जा हो चुका है।
वह बताना चाहते हैं कि वे इस देश के साथ कुछ भी करें उनका कोई कुछ नहीं कर सकता।
क्योंकि उनके पास धनबल है।
बाहुबल है।
और वे देसी और विदेशी शक्तियों के संरक्षण में इस देश और समाज को तहस-नहस कर देना चाहते हैं।

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इस घटना को सामान्य नहीं माना जाए।
क्योंकि इन घटनाओं के माध्यम से समाज में भय का वातावरण निर्मित किया जाता है।
और फिर से शुरू होता है भयादोहन की प्रक्रिया।
भय का प्रचार और उसका प्रसार।
यह दोनों ही समाज के लिए समाज की अपनी शक्ति के लिए खतरनाक होता है।
समाज की अपनी शक्ति टूट जाए।
व्यक्ति का अपना मनोबल टूट जाए तो देश और समाज को तोड़ना आसान हो जाता है।
टूटे हुए समाज को शासित करना अधिक सरल है।
बनिस्बत इसके एक समाज जो संगठित हो,
सजग हो,
संवेदनशील हो और
सक्रिय हो।

इसी के लिए तो प्रयास करता है पत्रकार।

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सूचनाओं को एकत्र करना वह भी बड़ी ही कठिनता से और फिर उन सूचनाओं को जन जन तक पहुंचा कर जनता को जागरूक करना।
वह भी महज अपने मिशन के कारण।
ऐसे लोगों को समाज से हटाकर समाज विरोधी शक्तियां देश को तोड़ रहे हैं।

ऐसे में समाज के प्रत्येक वर्ग को आंदोलित होना चाहिए। सजग होना चाहिए।
सतर्क होना चाहिए।
चाहे वह डॉक्टर हों,
अभियंता हो ,
वकील हो,
शिक्षक हो,
वैज्ञानिक हो,
राजनेता हों अथवा
व्यापारी आदि हो।
उन्हें पत्रकारों के खिलाफ होने वाले इस साजिश के खिलाफ एकजुट होकर के विरोध दर्ज कराना चाहिए।
और कोशिश करनी चाहिए कि पत्रकारों का संरक्षण और उनकी सुरक्षा हो क्योंकि,
उनके परिवार का कुशलक्षेम समाज की जिम्मेदारी है।

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